
आज की खेती सिर्फ बीज बोने और फसल काटने का खेल नहीं रह गया है। अब बात इससे कहीं बड़ी हो चुकी है अब सवाल ये है कि हम ज़मीन को बिना खराब किए, पानी को बिना ज़हर बनाए और अपने शरीर को बिना नुकसान पहुंचाए, खाना कैसे उगाएं।
अगर आप एक बार ठंडे दिमाग से सोचें, तो साफ़ दिखता है नदियां गंदी हो रही हैं, मिट्टी में जान खत्म हो रही है, और इन सबके बीच सिर्फ एक रास्ता बचता है ऑर्गेनिक खेती। इसमें अब कोई शक नहीं।
तो चलिए, आराम से बात करते हैं इस बारे में।
ऑर्गेनिक खेती आखिर है क्या?
जब “ऑर्गेनिक” शब्द सुनते हैं, तो कई लोगों के दिमाग में फैंसी सुपरमार्केट की महंगी सब्ज़ियां और फल घूमने लगते हैं। लेकिन असलियत ये है कि ऑर्गेनिक खेती का मतलब है खेती वैसे करना जैसे हमारे दादा-दादी करते थे।
ना कोई केमिकल खाद, ना जहरीले स्प्रे। सिर्फ गोबर की खाद, कम्पोस्ट, नीम की पत्तियों का पानी, फसल चक्र, और ऐसी चीज़ें जो मिट्टी को नुकसान पहुंचाए बिना उसे और भी ज़्यादा उपजाऊ बनाएं।
ये खेती लालच से नहीं, धैर्य और प्यार से की जाती है।
और जब हम धरती माँ का ख्याल रखते हैं, तो वो हमें दोगुना लौटाती है।
क्यों किसान अब दोबारा लौट रहे हैं प्राकृतिक खेती की ओर?
एक समय था जब केमिकल खेती ने खूब फायदा दिया अन्न भंडार भर गए, फसलें बंपर होने लगीं।
लेकिन फिर साइड इफेक्ट्स दिखने लगे
- ज़मीन थक गई, केमिकल्स से भरी पड़ी है
- पानी ज़हरीला हो गया
- सब्ज़ियों में अब वो स्वाद ही नहीं रहा
- और सबसे बड़ा झटका किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं, हर साल महंगे बीज, खाद और दवाई खरीदने में
अब लोग सोचने लगे हैं क्या ये सब वाकई सही था?
इसलिए अब हवा बदल रही है। किसान ही नहीं, ग्राहक भी समझ रहे हैं ऑर्गेनिक ही टिकाऊ रास्ता है।
क्यों जरूरी है ऑर्गेनिक खेती?
1. सेहत सबसे पहले
केमिकल से उगी हुई सब्ज़ियां दिखने में चाहे जितनी सुंदर हों, अंदर छुपा जहर किसे दिखाई देता है?
ऑर्गेनिक खाने में केमिकल नहीं होते, इसलिए ये बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी सुरक्षित है।
असल पोषण वहीं मिलता है जहां खेती शुद्ध होती है। सिर्फ पेट नहीं, शरीर भी तंदरुस्त रहता है।
2. मिट्टी ही असली धन है
सोना-चांदी बाद में, असली दौलत तो मिट्टी है।
केमिकल खेती मिट्टी को बंजर बनाती है।
वहीं ऑर्गेनिक खेती हर साल उसकी ताकत बढ़ाती है केचुएं, जैविक सूक्ष्म जीव, सब ज़िंदा रहते हैं।
ये बिल्कुल वैसे है जैसे FD में पैसा डालते हैं धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन मजबूत होता है।
3. जलवायु की रक्षा, खामोशी से
जहां टीवी पर जलवायु परिवर्तन की बड़ी-बड़ी बहसें चलती हैं, वहीं एक ऑर्गेनिक किसान बिना शोर मचाए धरती का तापमान घटा रहा होता है।
ऑर्गेनिक मिट्टी हवा से कार्बन खींचती है और अपने अंदर रखती है।
मतलब कम प्रदूषण, साफ हवा और ज़्यादा हरियाली।
4. पानी को ज़िंदा रखना
हर बार जब खेत में केमिकल स्प्रे होता है, बारिश के साथ वो ज़हर नदियों और झीलों में पहुंच जाता है।
यही कारण है कि जगह-जगह पानी पीने लायक नहीं रह गया।
ऑर्गेनिक खेती का मतलब है साफ पानी, ज़िंदा तालाब, और शुद्ध भूजल।
5. लंबे समय का फायदा, छोटे लालच से बेहतर
ऑर्गेनिक खेती में शुरू के 2-3 साल थोड़े कठिन होते हैं।
पैदावार कम लगती है, मेहनत ज़्यादा लगती है।
लेकिन जैसे-जैसे ज़मीन सुधरती है, फसलें भी खुद-ब-खुद अच्छी होने लगती हैं।
ऊपर से ऑर्गेनिक सामान शहरों में अच्छी कीमतों पर बिकता है।
यानि अंत में फायदे में किसान ही रहते हैं सेहतमंद ज़मीन, अच्छा मुनाफा और चैन की नींद।
हाँ, मुश्किलें भी हैं लेकिन हिम्मत वाले टिकते हैं
ऑर्गेनिक खेती आसान नहीं।
- घास जल्दी उगती है, हाथ से निकालनी पड़ती है
- कीड़े ज़्यादा परेशान कर सकते हैं
- सर्टिफिकेशन का झंझट
- हर जगह सीधे ग्राहक नहीं मिलते
लेकिन जो किसान ये शुरुआती मुश्किलें पार कर लेते हैं, उनके लिए आगे का रास्ता साफ और समृद्ध होता है।
भारत के किसान नई क्रांति के नायक
हमारे देश में ऑर्गेनिक खेती कोई नई चीज़ नहीं।
ये तो हमारे खून में है।
पुराने जमाने में हमारे किसान गाय के गोबर से, नीम से, प्राकृतिक चक्र से खेती करते थे।
आज सिक्किम ने तो 100% ऑर्गेनिक होकर मिसाल कायम कर दी।
महाराष्ट्र, पंजाब, केरल में हजारों युवा किसान फिर से प्राकृतिक खेती की ओर लौट रहे हैं।
Startups, मोबाइल apps और सरकारी योजनाएं जैसे परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और National Programme for Organic Production इसमें मदद कर रहे हैं।
भारत फिर से अपनी असली जड़ों की तरफ लौट रहा है धीरे-धीरे, लेकिन मजबूती से।
ग्राहक भी अब जागरूक हो रहे हैं
अब लोग सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, सेहत के लिए खाना खरीदते हैं।
उन्हें फर्क पता है कौन सा खाना ज़हरीला है, कौन सा शुद्ध।
ऑर्गेनिक दूध, गेहूं, फल सब कुछ अब शहरों में उपलब्ध है।
ऑनलाइन डिलीवरी ने तो इसे और भी आसान बना दिया है।
अब ऑर्गेनिक खाना “लक्ज़री” नहीं, “लाइफस्टाइल” बन रहा है।
भविष्य का रास्ता साफ है
अगर हम आगे की तस्वीर देखें, तो साफ है
आने वाले समय में खेती का वही तरीका बचेगा जो धरती को बचा सके।
जो किसान आज से शुरुआत कर रहे हैं, वो कल के लीडर होंगे।
जो ग्राहक अब से सेहतमंद खाना चुन रहे हैं, वो परिवारों को बचा रहे हैं।
और भारत जो कभी प्राकृतिक खेती में सबसे आगे था वो फिर से दुनिया को रास्ता दिखा सकता है, बस हमें अपनी मिट्टी पर भरोसा रखना होगा।
अंत में बस यही अब हरियाली ही रास्ता है
सेहतमंद लोग, साफ पानी और ज़िंदा धरती चाहिए तो हमें ग्रीन की तरफ बढ़ना ही होगा।
ऑर्गेनिक खेती अब “चॉइस” नहीं, ज़रूरत है।
ये एक प्यार है बीज से, मिट्टी से, और आने वाली पीढ़ियों से।
चाहे आप किसान हों, ग्राहक हों या बस एक सोच रखने वाले इंसान अब वक्त आ गया है साथ चलने का।
चलो मिलकर भारत को फिर से हराभरा बनाएं सेहतमंद, मजबूत और आत्मनिर्भर।
क्योंकि भविष्य सिर्फ उन्हीं का है, जो धरती का सम्मान करते हैं।
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