पहलगाम आतंकी हमला और भारत की सख्त कार्रवाई

Sandeep A
By Sandeep A
Explore the details of the Pahalgam terror attack and understand the strong measures taken by the Indian government in response. Learn about the implications for India-Pakistan relations and national security.

जब जन्नत रो पड़ी: खूबसूरत वादियां, खौफनाक मंजर में बदल गईं

कश्मीर को यूं ही नहीं “धरती का स्वर्ग” कहा जाता। पहलगाम भी उन्हीं जगहों में से एक है साफ हवा, हरे-भरे पहाड़, खूबसूरत पोशाकों में सजे टूरिस्ट, टट्टुओं पर घूमते बच्चे सब कुछ किसी सपने जैसा लगता है।

लेकिन 22 अप्रैल 2025 का दिन इस सपने को एक भयानक सच्चाई में बदल गया। जिस जगह लोग शांति और सुकून ढूंढने आते हैं, वहां अचानक गोलियों की आवाज गूंज उठी।

आखिर हुआ क्या था?

उस दोपहर कुछ हथियारबंद आतंकी, जो खुद को The Resistance Front से बताते हैं, बेसरन घास के मैदान के पास पहुंच गए। ये जगह मुख्य सड़क से काफी दूर है, जहां गाड़ियां भी नहीं जातीं। शायद इसी लिए उन्होंने इसे चुना, ताकि हमला करना और बच निकलना आसान हो।

बिना किसी चेतावनी के, सीधे गोलीबारी शुरू कर दी गई। 26 लोग मौके पर ही मारे गए टूरिस्ट, स्थानीय लोग, यहां तक कि एक भारतीय नौसेना अधिकारी और एक इंटेलिजेंस ब्यूरो अफसर भी। चश्मदीदों ने बताया कि हमलावर कुछ लोगों से नाम पूछकर फायर कर रहे थे, यानी वे शायद पहले से टारगेट तय करके आए थे। रूह कांप जाती है सुनकर।

ये कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं था। सब कुछ सोची-समझी साजिश थी। जहां पहुंचने में ही समय लगता हो, वहां मदद भी देर से ही पहुंचती है। शायद इसी का फायदा उठाया गया।

2019 के पुलवामा हमले के बाद से कश्मीर में आम नागरिकों की इतनी बड़ी जान हानि पहली बार हुई थी। सोचिए, कितना दर्दनाक मंजर रहा होगा।

देश का रिएक्शन

पूरा भारत सकते में था। श्रीनगर में तो उसी वक्त प्रदर्शन शुरू हो गए। नेता लोग जैसे महबूबा मुफ्ती ने भी खुलकर अपनी बात रखी। सोशल मीडिया पर दुख और गुस्से की बाढ़ आ गई। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जैसे अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने भी हमले की निंदा की।

गृहमंत्री अमित शाह तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। भारतीय वायुसेना और नौसेना ने अपने शहीद अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी। पूरा इलाका सील कर दिया गया। हमलावरों के स्केच भी जारी कर दिए गए।

लेकिन असली जवाब तो अभी बाकी था।

भारत का तगड़ा पलटवार

प्रधानमंत्री मोदी ने एक पल भी नहीं गंवाया। सऊदी अरब में चल रहे आधिकारिक डिनर को रद्द कर तुरंत भारत लौटे। एयरपोर्ट पर उतरते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री से मीटिंग की। अगली सुबह कैबिनेट सिक्योरिटी कमेटी की आपात बैठक बुलाई गई।

फैसले? इस बार सिर्फ कड़ी बातें नहीं, सीधे ठोस कदम उठाए गए:

  • इंडस वॉटर ट्रीटी रोकी गई – भारत और पाकिस्तान के बीच नदी जल समझौता। पानी रोकना पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका है।
  • SAARC वीजा एग्जेम्प्शन स्कीम रद्द – पहले पाकिस्तानी नागरिकों को भारत आने में थोड़ी छूट थी, अब उन्हें 48 घंटे में वापस जाने को कहा गया।
  • सभी पाकिस्तानी वीजा रद्द – कोई एंट्री नहीं, कोई विजिट नहीं।
  • पाकिस्तान से भारतीय डिफेंस स्टाफ को वापस बुलाया गया – राजनयिक रिश्ते और भी ठंडे पड़ गए।
  • अटारी बॉर्डर बंद कर दिया गया – बड़ा ट्रेडिंग पॉइंट अब पूरी तरह सील।

सीधा संदेश था अब और बर्दाश्त नहीं।

ये फैसले क्यों जरूरी थे?

सच कहें तो लोग थक चुके हैं। डर, खून, खबरों में तबाही हर रोज यही देखना पड़ता है। इस बार जब सरकार ने इतनी जल्दी और सख्ती से कदम उठाए, तो लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली। सब जानते हैं, इससे रातोंरात सब कुछ नहीं बदलेगा, लेकिन कम से कम यह एहसास हुआ कि कुछ तो किया गया।

अटारी बॉर्डर बंद करना, वीजा रद्द करना ये सब पाकिस्तान की इकोनॉमी और इमेज पर सीधा असर डालता है। और इंडस वॉटर ट्रीटी वाला फैसला तो सबसे बड़ा झटका था। पानी के मुद्दे वैसे भी देशों के बीच बेहद संवेदनशील होते हैं।

हां, इसमें खतरा भी है। अगर पाकिस्तान आक्रामक जवाब देता है, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं। भारत बहुत सोच-समझकर यह रास्ता चला रहा है।

अब आगे क्या?

कश्मीर के लोगों के लिए ये वक्त बहुत डरावना है। उनकी रोजी-रोटी टूरिज्म पर टिकी है। अब लोग आने से डरेंगे। होटल मालिकों ने कहना भी शुरू कर दिया है कि बुकिंग कैंसिल होने लगी हैं।

बाकी भारत के लिए बात सीधी है सुरक्षा चाहिए। लोग चाहते हैं कि जब कुछ बुरा हो, तो देश सिर्फ बोलने से नहीं, बल्कि मजबूत कदमों से जवाब दे।

मेरी अपनी राय

मैं कोई सिक्योरिटी एक्सपर्ट नहीं हूं। बस एक आम इंसान हूं जो खबरें पढ़ता है और दूसरों का दर्द समझता है। और सच कहूं, तो इस हमले ने दिल से झकझोर दिया। ये कोई सैनिक नहीं थे, कोई नेता नहीं थे ये तो आम लोग थे, जो बस अपनी जिंदगी के खूबसूरत पल बिता रहे थे।

भारत का जवाब जरूरी था। ताकत दिखानी भी जरूरी थी। लेकिन असली शांति? वो सिर्फ बॉर्डर बंद करने या संधि तोड़ने से नहीं आएगी। जब तक हम उन जड़ों तक नहीं पहुंचते, जहां से ऐसे आतंकी ग्रुप पैदा होते हैं, तब तक ये जख्म भरने वाले नहीं।

जब तक ऐसा नहीं होगा, कश्मीर को यूं ही दर्द सहना पड़ेगा। और ये किसी के लिए भी न्याय नहीं है ना वहां के लोगों के लिए, ना टूरिस्ट्स के लिए, ना हमारे देश की आत्मा के लिए।

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